याद, बचपन की
याद, बचपन की
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कितना सुन्दर था
वह दिन
न इतिहास की
चिंता थी
न भविष्य की
केवल खेल - कूद कर ही
दिन बीत जाता था।
न गिरने की चिंता थी
न छिलने की
मैं केवल आंधी के साथ
दौड़ता रहता था।
न समाज का
ज्ञान था
न परिवार की चिंता
केवल दौड़ता रहता था
उड़ते बादल के साथ।
कितना सुन्दर था
वह दिन
नहीं था पैरों में
जात- पात का बंधन
न मन में था
अमीर- गरीब का फर्क।
न इतिहास की
चिंता थी
न भविष्य की।
