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Chandramohan Kisku

Others

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Chandramohan Kisku

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याद, बचपन की

याद, बचपन की

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कितना सुन्दर था 

वह दिन 

न इतिहास की 

चिंता थी 

न भविष्य की 

केवल खेल - कूद कर ही 

दिन बीत जाता था।


न गिरने की चिंता थी 

न छिलने की 

मैं केवल आंधी के साथ 

दौड़ता रहता था।


न समाज का

ज्ञान था

न परिवार की चिंता 

केवल दौड़ता रहता था 

उड़ते बादल के साथ।


कितना सुन्दर था 

वह दिन 

नहीं था पैरों में 

जात- पात का बंधन 

न मन में था

अमीर- गरीब का फर्क।

न इतिहास की 

चिंता थी 

न भविष्य की।



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