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Zala Rami

Others

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Zala Rami

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याद आती है।

याद आती है।

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याद आती है ,बहोत सताती है

वो बेंच,वो मित्र

विद्यालयकी मस्ती ,पढ़ने की चाहत

वो शिक्षक,मित्र और बेंच के सामने

ये खुर्शी शिक्षक की सूनी लगती है।

भले ही चली जाए ,ये दौलत और माया

मिल जाए बस पुराने दोस्त और गुरु की छाया

फिर मिल जाए बरसात में भीगने का मजा

ना चाहिए मुझे ये मंहगे रेनकोट की मजा

दोस्तो के साथ बांटी चॉकलेट खा के खोट

नहीं चाहिए मुझे ये दो हज़ार की नोट ।


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