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RAJESH KUMAR

Children Stories Inspirational

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RAJESH KUMAR

Children Stories Inspirational

याद आते हैं

याद आते हैं

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रह रह कर याद आते हैं


1891 के चौदह अप्रैल को जन्म लियो

ऐसे कर्मवीर जननायक को कोटि कोटि प्रणाम है।


बचपन गुजरा आभाव में, तनिक भी अफसोस नहीं।

पढ़ने से रोका गया, कक्षा के बाहर से लिया ज्ञान।

माँ  भीमा का 5 वर्ष में छुटा साथ, 

परिवार ने लिया संभाल।

ऐसी थी सूबेदार सकपाल की 14 वीं सन्तान।


पानी पीने को तरश जाते, कोई ना पानी देता

खाने की बात तो दो छोड़, परछाई को भी

मानते अछूत, ऐसा मंजर देख खौलता खून।


पढ़ने का ऐसा जुनून, कोय रोक ना पाए

पढ़ लिखने के लिए गए विदेश ।

इतना जुनून पढ़ने का, ले डाली 32 डिग्री

समय के सबसे विद्वान कहलाये।

जैसे  कुछ जाये ना छूट, जैसे था उनको भान,

क्योंकि उनके  हिस्से का था कुछ काम महान ।


बुद्ध, कबीर, फूले का था बहुत प्रभाव 

उनकी सोच को था, जीवन में उतारा।

शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडकर 

रजवाड़े सायाजीराव गायकवाड़

जी ने दिया भरपूर सहयोग।


बच्चों, पत्नी की अकाल मौत भी ना डिगा पाई

कुछ कर गुजरना था, आगे जो बढ़ना था,

देश  बदलना जो था।


प्रकृति ने जो दिया, वो क्यों ना सब का हो?

उसके लिए  क्यों हो रहा भेदभाव,

बदलने को जी जान लगा दी,,

समय आने पर संविधान के रचनाकार हो गए।


देश हित से बढ़ कर कुछ नहीं

इसीलिये सबका साथ व विकास

क्यों ना हो साथ साथ, गांधी जी

को भी किया मजबूर, दलितों की

असल आजादी का शंखनाद किया।।


देश ने देर से ही सही उनको पहचाना

मरणोपरांत  भारत रत्न से मान बढ़ाया।


हमें उनके सपनों का भारत है पाना,,

शिक्षा, स्वास्थ्य, सम्मान ओर समानता 

सभी को हैं दिलवाना।

एक दिशा दिखाई, बस उस पर चलना

हमारी ही है जिम्मेदारी,,,


कोई ना शोषित हो, अपने से रखना ध्यान

तभी बनेगा ये मेरा भारत महान।


देश के लिये जिन्होंने विलास को ठुकराया था।

शोषितों का जिन्होंने स्वाभिमान सिखाया था।

हम सबको तूफानों से टकराना सिखाया था।

देश का वो रत्न बाबा साहब कहलाया था।


22 दिसंबर 1956 को  शरणागत हो गए 

सीखा गए जीवन को कैसे है जीना।

अभावों व संघर्षों को अपना पथ बनाना।

परिस्थितियों को ना कभी रोना, उनको                             

अपना हथियार बनाना।

ऐसे कर्मवीर जननायक को कोटि कोटि प्रणाम है।



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