वो साया
वो साया


वो साया
जो हमेशा साथ रहता था मेरे
जिसने कभी इस चिलचिलाती धूप से
बचाया था मुझे,
वो साया
जिसमें बीता था बचपन मेरा
कहाँ है वो।
वो आँखे
जो प्यार से देखती थी मुझे,
लाड़ करती थी मुझे,
मुझे डराने वालों को
डराती थी कभी, वो आँखे
जिनकी देख रेख में बीता था
बचपन मेरा, कहाँ है वो।
वो हाथ
जिन्होंने सहारा दिया था कभी
जिनकी उंगलियां पकड़कर
चलना सीखा था कभी मैंने,
उन्हें झूला बनाकर झूल रही थी कभी मैं
वो हाथ
जिनके सहारे बीता था बचपन मेरा,
कहाँ है वो
वो चेहरा
जिस पर असंख्य टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें थीं,
जिसे मैं याद करती थी,
जिसने अकेलेपन में साथ न छोड़ा मेरा
वो चेहरा
जिसकी याद में बीता था बचपन मेरा
कहाँ है वो
शायद मुझे
अकेला छोड़ गया वो साया,
बंद हो गई वो आँखे,
बेजान हो गए वो हाथ,
यादें बन गया वो चेहरा
बस अब तो है उनकी शिद्दत से याद
बस याद बस याद
माँ बहुत दूर हो गयी मुझसे आप
माँ कहाँ है आप! कहाँ है आप कहाँ है आप?