वो रात औऱ थी...!
वो रात औऱ थी...!
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एक सवाल पूछते थे,
मुझसे
मेरे अश्क़,
मैं जवाब नहीं
दे पाता था,
हंसता था,रोता था
ख़ुद को संभाल
नहीं पाता था,
एक बेचैनी थी
दिल में पर
समझ नहीं पाता था,
यूँ तिनका-तिनका
कुरेदता था
मेरा ही साया मुझे,
आरजू मेरे दिल कि
कुछ औऱ थी
ये रात औऱ है,औऱ वो
रात औऱ थी.... !