वो मॉडर्न लड़की
वो मॉडर्न लड़की
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कभी धूप में कपड़े सुखाती,
कभी अपने सपनों को जलाती,
आँसू भी खुल कर बहाने की,
इजाजत ना है उसे,
वो तो प्याज है जिसके बहाने,
चुपके से वो है आँसू बहाती,
जिस्म पे पिछली रात के दागों को,
बड़ी संजीदगी से वो मुस्कुराकर छुपाती,
आजादी का स्वप्न देखने वाली,
अब सहजता से गुलामी को गले लगाती,
वो पढ़ी-लिखी मॉडर्न लड़की,
चुपके से पितृसत्ता की दोहरी भेंट,
हर दिन अब चढ़ती जाती।