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Alok Singh

Others

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Alok Singh

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वो कलेंडर वाला

वो कलेंडर वाला

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कुछ ख़ुशियाँ बेच रहा हूं मैं 

जी कलेंडर बेच रहा हूं मैं 

तुम चाहो तो ले लो मुझसे 

कुछ लम्हा बेच रहा हूं मैं 

गुज़रे साल  

कुछ मुस्कुरहाटों की उधारी ली थी 

पिछले साल मैनें भी खुददारी की थी 

रखा था गिरवी कुछ पलों के खजाने को 

पिछले साल मैनें भी खुद से यारी की थी 


वही साल भर का  

निचोड़ बेच रहा हूं मैं 

कुछ ख़ुशियाँ बेच रहा हूं मैं 

कुछ लम्हा बेच रहा हूं मैं  

महीनों को देखो कैसे हमने बांटा है 

कहीं इतवार कहीं सोमवार 

तो कहीं शनिवार आंका है

इन्ही वारों में छुपाये हैं कई मौसम 

किसी को गर्मी  

किसी को सर्दी  

तो किसी को ठंडक आंका है 


इन्ही जजबातों की सुगंध बेच रहा हूं मैं 

कुछ ख़ुशियाँ बेच रहा हूं मैं 

कुछ लम्हा बेच रहा हूं मैं 

कागज़ों पर कुछ त्योहार सजायें हैं  

कई खूबसूरत ख़्वाब बनाये हैं  

कहीं लगायी हैं होली की पिचकारी 

तो कहीं कागजों के दिये जलायें हैं  

उन्ही मीठे नमकीन स्वादों को  

बेच रहा हूं मैं 

कुछ ख़ुशियाँ बेच रहा हूं मैं 

कुछ लम्हा बेच रहा हूं मैं 



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