वो दिन
वो दिन
आज भी हँसी आती है जब स्कूल की पहले दिन की याद आती है,
बड़े उत्साह और उल्लास के मिश्रण वाली भावनाओं के संग गए थे।
जब ज्यादा समय वहाँ रहना तब रोने की आवाज़ चारों ओर सुनाई देने लगी,
घर पर फोन की घंटी ज़ोर ज़ोर से बजने लगी।
दादाजी जब जल्दी से मुझे लेने आ गए,
गले से लगाकर चोकोलेट हाथ में थमा गए।
उसके बाद वाले दिन से दादाजी को साथ लेकर कक्षा में बैठने लगी,
जब जब वो खिसकने की कोशिश करते, मैं चिल्ला चिल्लाकर रोने लगी।
धीरे धीरे मैं समझने लगी, फिर दादाजी को बाय बोलकर मुस्कुराते हुए स्कूल जाने लगी,
कुछ इस तरह बचपन की गलियों की हमें आज याद आने लगी।
