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Kalyani Das

Others

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Kalyani Das

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वो बूंद सी

वो बूंद सी

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वो बूंद सी प्रेम की...

दिल में मेरे, शांंत नदिया सी बहती।

वो बूंद दर्द की..

आंखों में मेरे झिलमिल सी ठहरी।

वो बूंद कोमल एहसासों की..

तन मन शीतल कर जाती।

वो बूंद मधुर जज़्बातों की...

रग-रग में मेरे समाती।

वो बूंद ख्वाबों की...

रातों में मेरे सपनों को महकाती।


वो बूंद सी ओस की

जीवन ताजगी से भर जाती।

वो बूंद प्रेम के बंधन की

अक्सर बांहों में मेरे समाती।

बस,

एक बूंद सी वो..

जिसे पाना चाहा था दिल ने..

वो बूंद सी

जाने क्यूं..

सामने नज़र नहीं आती।

बूंद सी वो....

न जाने कहां खो जाती...?





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