वो भयाबह पल जो बीते।
वो भयाबह पल जो बीते।
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वो दिन याद आता है जब हम जुदा हुए थे
हमारे साथ हमारे अरमान जुदा हुए थे।
काली रात काली ताक़त की तरह हावी थी,
हम मजबूर असहाय से महसूस कर रहे थे।।
रूह हमारी काँप उठी थी आपसे बिछड़ने की बात पे
आपकी साथ से दिल को तसल्ली देते रहते थे।।
हर पल लगा यह समाज की कुरीति हमें अलग कर देगी
सबके तानों को सहना असहनीय हो रहा था हमारे लिये।
दोस्त भी साथ छोड़ गए ,कि वो भी बदनाम हो जायेंगे
हमारा साथ देंगे तो समाज से गुमनाम हो जाएंगे।।
हमने खूब लिया लोहा सभी से, आखिर तुमको पाया है
अब हम दोनों सफ़ल हैं, तो पूरा समाज साथ आया है ।।
