विनय न मानत - पुलिस से अनुरोध
विनय न मानत - पुलिस से अनुरोध
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रोके से जे ना रुकैं
कर्फ़्यू मा हिहिहाय
विनय धरौ फिर ठेंगा पै
देया लट्ठ चटकाए
देया लट्ठ चटकाए
कि सोहरावैं हफ्ता भै
कतई न उठि पावैं खटिया से
चाहे गरियावैं बल भै
सुना हो पांड़े सुना तेवारी
लट्ठ प्यास एनकै अति भारी
रत्नाकर जब मानेन नाही
एन तौ सारेन अति व्यभिचारी
जिन पूंछा कि कहां जात अहैं
केवल लट्ठ बजावा एनका
तबहूं पै चोरकटई छांटैं
बल भै फिर लतियावा एनका
