विकास की ओर
विकास की ओर
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गाॅंव का छोकरा
चला शहर की ओर
करने विकास
सिखने नयी तकनीक।
करेगा विकास गाॅंव मेरा
खुशहाल होगा गाॅंव सारा
नये विचार का हुआ स्वागत
सारे हो गये अब अवगत।
बुध्दिमान और कार्यरत
चढ़े सीढ़ियां हुआ प्रगत
पैसा, बंगला और गाड़ी
भूल गया गाॅंव अनाड़ी।
भूल गया माॅं बाप को
भूल गया वो सबको
अब पल भर याद न आये
चकाचौंध में सब भूल जाये ।
और कुछ समय बीत गया
ढली जवानी, बुढ़ापा आया
गाॅंव याद अब आने लगा
किये बात पर पछतावा होने लगा।
दोस्तों कभी ना भूलना गाॅंव को
अपने आत्मिय जग को।