विद्रोह
विद्रोह
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जब-जब भी कोई
बेरहम-बेईमान-बेदर्द सितमगर
किसी लाचार इंसान पर
क़हर ढाता है,
तब-तब ही
विद्रोह की भयानक दावानल से
उस सितमगर के ख्वाबों की
आलिशान रंगमहल की नींव तक
हिला कर रख देती है
उस ईमानदार के
सीने में दबी हुई
सच्चाई की वो कराह,
जिसे विद्रोह की
चिंगारी कहते हैं...!!
इसलिए, ओ बेरहम-बेईमान-बेदर्द सितमगर!
तुमको आगाह करते हैं कि
कभी किसी ईमानदार की
ईमान के साथ व्यापार करने की
ज़ुर्रत न करना, वरना...