वहीं गुरु कहलाता हैं
वहीं गुरु कहलाता हैं
संघर्ष में जो जीना सिखलाता है
स्वाभिमान जो हमें बताता है
हमारे जीवन के दुख हर ले
जान हमें बताता है
हर पग पग पर रहा हमें दिखाता नहीं उनके जैसा कोई
वहीं गुरु कहलाता है।
नई उमंग जो भर दे मुझ में
सत्य की ज्योति जलाता है
अंधकार को मिटा कर
प्रकाश वो लाता है।
कभी कभी खुद उदास रह कर खुशियां हमें दिलाता है
वहीं गुरु कहलाता है।
जो कठिन मार्ग पर चलना सिखलाता है
जो ज्योति से ज्योति जलाता हैं
थोड़े ना कभी मझधार में वो मरते दम साथ निभाता है
कभी नाव बनकर सागर पार करता हूं
वहीं गुरु कहलाता है।
है नमन बारंबार गुरुवार आपके चरणो में
गुरुवर मिलते हैं पुण्य कर्म के जन्मों में
मेरी विनती स्वीकार करो
हम बच्चों का आप ध्यान करो
दो आशीर्वाद अपना हम सबको
अब हमारे सिर पर हाथ धरो।
