वह विष्णु की प्रिया
वह विष्णु की प्रिया
वह माँ सी
वह दी सी भी
पग पग दुुुुलारती
नींद में भी पुुुकारती
रख सिर पर हाथ
हर घङी रहता साथ
साध लेेेती मुश्किल
कोई झट पट से
हर कष्ट साथ उसके
पल में दूर किया
वह विष्णु की प्रिया।।
वह पिता की छाया
संग वह तो
कायम यह काया
कभी कङक तो
सहज कभी वह
समझ सीख से उसने
हर असहज को
सरल किया,
वह विष्णु की प्रिया।।
वह सच्ची मित
रख कंधे पर हाथ
चली संंग हर दुर्गम राह
सच तो बस एक यही
हमारी हर आह को
हमारी हर कराह को
हमारी हर राहत को
उसने अपना जाना
साथ पा हमने उसको
हर दुर्दिन को पार किया,
वह विष्णु की प्रिया।।
वह एक नेेेमत
वह बरक्कत
वह एक परिजाद
सुन हमारी फरियाद
उसे ईश ने हमें दिया
वह हमारी धीया
वह हमारी धिया
वह विष्णु की प्रिया।।