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Meenakshi Kilawat

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Meenakshi Kilawat

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उत्सव होता है देविका

उत्सव होता है देविका

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जन मन में तन मन में

उत्सव होता है देविका

नवरात्रि की धूम मची है

मैल धुल जाता है मन का।


बादल आया बरसात हुई

सुनाते हैं मां को अनकही

धन-धान्य से हो परिपूर्ण

समृद्ध हो जाता जग पुरा ही।


नव रंगों की धूम मची है

लगे हैं यहां उमंगो के मेले

चांद आकर बैठे धरा पर

आओ हम सब गरबा खेले।


करुणामई करुणा बरसाए

सिद्ध साधुगन तुम्हारे गुण गाए

सकल कार्य होते सब के पूरे

माँ चरणों मे परम सुख पाए।


है मां की महिमा बड़ी निराली

स्त्रीको भूषणावह बनाने वाली

काल का नाश ये करती काली

परम दिव्य रूप दर्शाने वाली।


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