STORYMIRROR

Ayush sati

Others

4  

Ayush sati

Others

उत्साह

उत्साह

1 min
290

वह पुष्पों की माला त्याग चुका

वह अभिलाषी है ज्वाला का

वह सुरबाला के गहनों में नहीं गूंथा

वह इच्छित है क्रांति दल का


उसके जीवन का यही लक्ष्य

कि कर जाऊं मैं काम बड़ा

इक महापुरुष का अंश बने

रह जाऊं मैं भी साथ खड़ा


अमर्ष लिप्त कलेवर है

वायुसुखा का परिचय है

ना कोई सामान्य अग्निकण

ना कृशाणु ये कतिपय है


उसके देह में आग्नि लगी है

एक दावानल है गूंज उठी

इस मालिन मुग्ध संसार में

प्रतिकार की ध्वनि सुनाई दी


आवेशरहित इस गहन विपट में

भड़क उठी है आग्निशिखा 

पर इस भीषण द्रुत अरण्य में

नहीं कोई झंखाड़ दिखा।



Rate this content
Log in