किसान
किसान
आज धूप तेज है
सब लोग परेशान है
पर उसका हौसला तो
छू रहा आसमान है
सब लोगो के मुंह तो
गर्मी से असंतुष्ट है
पर अपनी फसल देख के
वह पूर्णतया संतुष्ट है
जी हां वह किसान ही
किसी के इंतजार में
संतोष की छांव में
फसलों के प्यार में
रुका है किसी को
कि कब वह आएगी
नन्हीं नन्हीं बूंदों से
उसकी फसल जगाएगी
इस झुझलाती गर्मी मे
धीरे धीरे ठंडक आई
ठंडी ठंडी चली हवाएं
सभी के वह मन को भाई
नीले नीले आसमान को
दूधिया सा कर दिया
शीतल पवन ने भी
सबके मन को भर दिया
किसान भी ये देख
बहुत ही प्रसन्न है
मुस्कुराते हुए कह रहा
अब हम भी संपन्न हैं
उसकी कड़ी मेहनत का
जल्द ही मिले परिणाम
साल भर की मेहनत
आ जाए उसके काम
किसान की तरह बनो
उसका जीवन आदर्श है
तुम भी पा लो मेहनत करके
सफ़लता में जो हर्ष है।
