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Dhan Pati Singh Kushwaha

Others

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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उत्कृष्ट ग्रंथ

उत्कृष्ट ग्रंथ

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साहित्य दर्पण है समाज का, दिखाता है समकालीन स्थितियां और विचार।

कुछ कालजयी साहित्यिक कृतियां, सिखाती हैं सार्वकालिक उत्कृष्ट संस्कार।

कुछ कृतियां श्रद्धा-भक्ति के साथ,आचरण में लाई जाती-पढ़ी जाती बार-बार।

युगों पुरानी इसकी कहानी सिखाती हर रिश्ते की मर्यादा,करती जन-जन का उद्धार।


आर्यावर्त की पावन भूमि के विविध क्षेत्रों, विविध भाषाओं में इस कथा का वर्णन है।

भारतीय साहित्य को स्वर्गलोक मानें तो, यह कृति उस स्वर्गलोक का सुखदाई नंदन है।

इसकी स्थायी पवित्रता और शीतलता, मानव जाति के भाल का कल्याणकारी चंदन है।

भारत के हर भाग में महाकवि तुलसीदास की इस कृति का,अत्यधिक आदर व अभिनंदन है।


ईश्वर का भूलोक पर अवतरण, मानव रूप में मर्यादित पुरुषोत्तम का आचरण ही इसके प्राण हैं।

इसके पाठन ,श्रवण, चिंतन और अनुसरण से जन-जन ,सम्पूर्ण मानव का होता रहा कल्याण है।

इस आदर्श कथा का रामलीला रूप में मंचन, भारतीय जनमानस में लोकप्रियता का प्रमाण है।

सामाजिकता के हर पक्ष को पोषित करता,संस्कारित वातावरण बनाता और हरता सबका त्राण है।


आदर्श-पुत्र-भाई-पति-पत्नी के अनुपम उदाहरण,यह समाज के लिए संजोई गई एक उत्कृष्ट थाती है।

समाज को हर दृष्टिकोण से आदर्शों का आईना दिखाती, जिसमें आलोक हेतु पर्याप्त-तेल-दीया-बाती है।

सामाजिक- पारिवारिक-धार्मिक-और नैतिक विचारों को बल देती,और इनका व्यावहारिक ज्ञान कराती है।

समाज पिछड़े वंचित वर्गों को समाज की धारा में जोड़कर, समरसता का अहसास करा सबको समीप लाती है।


रामचरितमानस में मर्यादा पुरुषोत्तम राम,आदर्श राजाओं के रूप में जाने जाते हैं।

तभी तो हम राम के आदर्श राजा रूप में, और उनके स्थापित रामराज्य के गुण गाते हैं।

इन आदर्शों की स्थापना के साथ-साथ, साहित्य की हर विधा के दर्शन इसमें पाते हैं।

हम इसे पढ़ बहुत कुछ सीखकर इसे हिंदी भाषा, की एक उत्कृष्ट कृति सगर्व बताते हैं।


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