उसकी चाहत ने
उसकी चाहत ने

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उसकी चाहत ने कंगाल
कर दिया है
दिल के हर मुआमले को
पामाल कर दिया है
मेरी धुरी पर घूमती
वो तमाम ख़्वाहिशें
उन सभी हसरतों को
अब नीलाम कर दिया है
जो अनदेखा रहा देखकर
भी मेरे
उसी देखे हुए को
ज़रूरत से ज़्यादा तार -तार
कर दिया है
रुक भी नहीं सकता और
अब दौड़ भी नहीं सकता
मेरे हौसलों को कुछ ऐसा
वक़्त ने निढाल कर दिया है
उसकी चाहत ने कंगाल कर
दिया है