उफ़ ये ख़र्चे
उफ़ ये ख़र्चे
सोचता हूँ मैं भी बचा लूँ थोड़े से पैसे
कड़ी मेहनत से कमाया है मुझे ही पता है कैसे
दिन-रात एक करके तिनका तिनका जोड़ता हूँ
खुद को पत्थर की तरह थोड़ा थोड़ा तोड़ता हूँ
घर का बड़ा हूँ तो जिम्मेदारियां बहुत निभानी है
सबकी अपनी फरमाईशें हैं, अपना खर्चा पानी है
बहन की शादी करनी है, पढ़ाई भी पूरी करवानी है
घर भी जर्जर हुआ ज़रा उसकी मरम्मत भी करवानी है
बच्चों की स्कूल फ़ीस तो आसमान तक पहुँच गयी है
भरते भरते उसको हमारी तो जान निकल गईं है
इन सबके बाद अपने लिए कुछ मुश्किल से ही बचता है
मैं भी थोड़ा खुश हो लूँ ये मेरे खर्चों को न पचता है