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Rashmi Singhal

Children Stories

4  

Rashmi Singhal

Children Stories

उड़ी पतंग रे !उड़ी पतंग

उड़ी पतंग रे !उड़ी पतंग

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उड़ी पतंग रे! उड़ी पतंग,

आसमां से जुड़ी पतंग,

कभी किधर-कभी किधर

हवा जिधर वहीं मुड़ी पतंग,


ड़ोर के दम पर ये उड़ पाए

बार-बार हिचकौले खाए,

करते-करते हवा संग बातें

काटे कभी तो ये कट जाए,


अलटी खाती पलटी खाती

नीचे कभी तो ऊपर जाती

जीवन के उतार-चढ़ाव का

हमें यह है सबक सिखाती,


न खेले कोई व्यक्ति विशेष

न इसका एक कोई परिवेश

खेले इसको हर कोई चाव से

देश हो या फिर हो विदेश,


अनेकों है रूप व आकार

रंगो के हैं इसमें भण्डार,

लम्बी-लम्बी पूँछ इसकी

सुन्दरता का हैैं आधार,


जात-पात को ये न माने,

उम्र की सीमा न ये जाने,

हर किसी को देती खुशियाँ

मौज-मस्ती को ही पहचाने,


उड़ी पतंग रे!उड़ी पतंग,

आसमां से जुड़ी पतंग,

इसको उड़ते हुए देखकर 

छा जाती दिल में उमंग।


    


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