तू पवित्र नारी जग केअनुसैया
तू पवित्र नारी जग केअनुसैया
रूठुंगा जब भी मैं
तुम हमें मना लेना
भोर सुहानी सूरज की तरह
अंधियारा तम से मिटा देना।।
हंसते गाते और मुस्कुराते
गले हमें लगा लेना
लेकिन डिवोर्स पेपर का
मन में ख्याल ना लाना।।
सात फेरों के पावन समय को
याद कर तेवर नरम कर लेना
पर इस हंसते हुए जहान को
दर्द में न तब्दील करना।।
तू पवित्र नारी जग के
अनुसैया सा पति धर्म निभाना
चाहे जो भी हो जाए घर में
पर घर को बिखरने ना देना।।
तुम्हारी ज्योति तुम्हारी नयन से
मेरा सारा सुख धाम हैं
जानती हो मेरी रानी
तू है तो मेरा प्राण है।।
