तू मेरी बात मनेगा क्या..!
तू मेरी बात मनेगा क्या..!
भाई ने दीदी माँ से रुआसी सी शकल बनाकर कहा..
वादा कर अगले जनम में तू मुझे ढूँढ लेगी,
और.., ख़ुद से दूर कभी नहीं करेगी..!
मुझे अगले जनम में तेरे ही साथ रहना है,
तेरा ही भाई ,तेरा ही बेटा बनकर..!
वादा कर ना दीदी माँ तू मुझसे कभी दूर नहीं जायेगी..?
और फिर वो रो पड़ा।
दीदी माँ ने जवाब दिया...
वादा दे तो दूँ
पर..!
तू मेरा कहा मानेगा क्या..?
जो मैं कहूँ वो करेगा क्या..?
सच सच बताना
अपने वादे से मुकर मत जाना,
मैंने मान ली तेरी सारी बातें
दिया तुझे वचन
अगले जनम का
तुझे ही अपना भाई/ बेटा/ बेटी बनाने का
मैं ही तेरे पास आऊँगी
तेरी माँ/ बहन बनने के लिए
पर उसके लिए अपने वादे के लिए मुझे वहाँ तुझसे पहले जाना है
तेरे आगमन की तैयारी के लिए
तू मेरी इतनी छोटी सी बात मानेगा क्या...?
बेवजह तू नाराज़ तो नहीं होगा...?
जो मैं कहूँगी वो करेगा क्या... ?
जवाब दे मुझे..!
तेरा ही बेटा हूँ सारी बातें तूझी से सीखा है...
अगला जन्म देखा नही मैंने
इस जन्म में देर से पाया है,
माँ कहती है दुनियाँ जिसे
दीदी मेरे लिए तो वही तेरा साया है,
करती हो ऐसी बाते क्यूँ..
क्या भूल गयी तेरे बाबू ने क्या दुख पाया है..?
तुझे माँ के रूप में पाने के खातिर
कितना रोया क्या क्या खोया है
माँ मेरी तुम ही हो
तुम ही मेरी माँ का साया हो
मौत हो जाएगी उस दिन तुम्हारे बाबू की
जिस दिन दुबारा ऐसा कुछ दोहराया है...।