तुमसे पहले भी
तुमसे पहले भी
तुमसे पहले भी धरती पर सूरज रोज निकलता था,
तुमसे पहले भी नदियों में जल अविरल बहता रहता था,
तुमसे पहले भी अम्बर से बादल बरसा करते थे,
तुमसे पहले भी पक्षी के कलरव वन में गूंजा करते थे।
तुमसे पहले भी धरती पर जीवन ने श्रृंगार किया,
तुमसे पहले भी एक दिल ने दूजे दिल से प्यार किया,
तुमसे पहले भी चंदा ने कई कला दिखाई थी,
तुमसे पहले भी पवनों ने प्रेम की सरगम गाई थी।
तुमसे पहले भी धरती पर ज्ञान का भोर उजाला था,
तुमसे पहले भी धरती ने मानव को माता बनकर पाला था,
तुमसे पहले से मानव की खोज सदा ही जारी थी,
तुमसे पहले ही पुरखों ने खोजी दुनिया सारी थी।
तुमसे पहले भी धरती पर मानव ने कई शोध किए,
तुमसे पहले ही अंतरिक्ष के रहस्य गूढ़ सब खोल दिए,
तुमसे पहले भी मानव ग्रह नक्षत्रों का ज्ञाता था,
तुमसे पहले भी जीवन को अस्तित्व बनाना आता था।
पर तुमसे पहले इस धरती पर लालच का ये शोर ना था,
जीवन ने धरती से मांगा उसके मन में चोर ना था,
तुमसे पहले धरती में एक सह-अस्तित्व की गाथा थी,
मानव हो या सूक्ष्म जीव जीवन में ना बाधा थी,
तुमसे पहले धरती पर एक साम्य और स्थिरता थी,
प्रकृति और मानव में एक प्रेम भरी निर्भरता थी,
तुमसे पहले हवा स्वच्छ थी नदियों का जल निर्मल था,
धरती सारी हरी भरी थी झरनों में जल अविरल था।
पर मनुज तुम ज्ञानवान बन इसे छेड़ते चले गए,
लालच की तलवार लिए धरती से खेलते चले गए,
तुमने हवा प्रदूषित कर दी नदियों का जल रोक दिया,
स्वार्थ में तुमने देखो मानव कई जीवों का घर तोड़ दिया।
तुमने जंगल काट-काट नगरों को आबाद किया,
वर्तमान की खुशियों में भविष्य को बर्बाद किया,
अहंकार के वश में मानव समझे स्वयं विधाता हो,
चले रोकने जीवन को कि कैसे अनपढ़ ज्ञाता हो।
विज्ञान के बल पर समझे धरती दास तुम्हारी है,
तुमने धरती को छेड़ा पर अब धरती की बारी है,
धरती की स्थिरता को इसकी कमजोरी मत समझो,
ये धरती सब जीवों का घर है इसे अपनी संपत्ति मत समझो।
तुमसे पहले भी मानव ने जब धरती पर अधिकार किया,
सब सीमाएं तोड़ धरा ने तीव्र रूप प्रतिकार किया,
तुमसे पहले भी मानव ने प्रकृति के विध्वंस को देखा है,
तुमसे पहले भी धरती के तीव्र वार को झेला है।
तुमसे पहले भी कई सभ्यता इसी अहंकार की भेंट चढ़ी,
तुमसे पहले भी विनाश की गाथाएं कई लिखी गई,
उन गाथाओं से सीखो मानव प्रकृति का सम्मान करो,
ज्ञान का उत्तम प्रयोग करो कि उसपर मत अभिमान करो।
सतत रूप से विकसित हो एक साम्य स्थिति बनी रहे,
प्रकृति में शुद्ध हवा जल को अविरलता बनी रहे,
तुमसे पहले से ये धरती है कि बाद तुम्हारे बनी रहे,
ये उपहार रूप है जीवन का कि शुद्ध रूप में सजी रहे।।
