तुम्हारे दो नैना
तुम्हारे दो नैना
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मुकुट सिर मोर का मेरे चितचोर का तुम्हारे दो नैना दो नैना सरकार के कटीले हैं
कटार से कटार से
आजा भर लूँ तुझे अपनी बांहों में आजा छुपा लूँ तुझे अपनी निगाहों में, दीवानों ने विचार के कहा पुकार के
तुम्हारे दो नैना......
रास बिहारी नाही है तुलना तुम्हारी तुम सा ना देखा कोई पहले अगाड़ी नूरानी मुंह निहार के नजरे उतार के
तुम्हारे दो नैना....
प्रेम लगाया तेरी बाकी अदाओं पर फूल घटा से तेरी तिरछी निगाहों पर सोचो पतवार के दीवानों गये हार के
तुम्हारे दो नैना.....
