Rashmi Lata Mishra
Children Stories
टोपी वाला टोपी लेकर
बैठा पेड़ के नीचे।
थकान बड़ी थी
लगी हवा तो
सोया आंखें मीचे।
आंख खुली तो सारे बंदर,
के सर देखी टोपी।
मांगने पर वो देते क्यों?
आदत थी उनकी खोटी।
याद आई नकलची आदत की
उतरी अपनी टोपी
तभी बंदरों ने भी अपनी-अपनी फेंकी।
मौसम,गजल
गजल
पवित्र प्रेम
फागुन
वसंत आ गया
वासन्ती चादर
छुपता-छुपाता
धड़कन दिल की
बसंत देखो आ ग...