कल्पना उड़ान की...
कल्पना उड़ान की...

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ज़िन्दगी उम्मीद पर कब तक रहेगी |
काग़ज़ की कश्ती है कब तक बहेगी |
क्यूँ, किसने, क्या कहा, फ़िक्र न करें,
दुनिया तो कहती है, कहती रहेगी |
जलती है वो भी इश्क में उसके,
शमा परवाने को ये कैसे कहेगी |
ख़िज़ाँ गर है आई, फ़िज़ा होगी पीछे,
दोनो की दौड़ ये बदस्तूर रहेगी |
तसव्वुर में जैसी परवाज़ होगी,
बुलंदी आसमां की भी वैसी रहेगी।