तर्पण
तर्पण
बस इतनी सी अरदास,
देवों अब तो रखना खैर,
तुम्हारे कुल के नाती हैं,
याद करें आठों ही पहर।
तर्पण करके आज पुकारूं,
प्रसन्न होकर बस जाना है,
दिल की धड़कन समझाए,
स्वर्ग ही धाम ठिकाना है।
एक साल में बस आते हो,
कर जाते हो ये आंख नम,
मुझे तो अकेला छोड़ गये,
भर गये दिल में दर्द व गम।
नमन करूं, मैं मात पिता,
जो मुझको गये जग छोड़,
याद आ रही प्यारी पत्नी,
जो चली गई, मुख मोड़।
तर्पण में अर्पण करूं अब,
खीर, पूड़
ी, मीठा हलवा,
मात पिता को नमन करूं,
याद आता है पत्नी जलवा।
माता पिता जब तक रहे,
कोई कभी, नहीं था डर,
अब सोच समझ में डूबा,
चलता हूं भजते हर हर।
24 फरवरी 1989 दिन,
पिता गये मुझ को छोड़,
16 फरवरी 2016 दिन,
मात गई मुख को मोड़।
17 नवंबर 2010 दिन,
सबसे मनहूस कहाया,
पत्नी भी मुख मोड़ गई,
जमकर मुझको रुलाया।
खुश रहो हर हाल में,
करता मैं अब अरदास,
जीवन भर तुम याद रहो,
रहेगी दर्शन की प्यास।।