तो बात बने
तो बात बने
सलीब अपनी उठाओ तो कुछ बात बने...
मसीहा बनके दिखाओ तो कुछ बात बने !
हंसते हुए बेशक भीगी होंं पलकें अक्सर,
कभी रोते हुए मुस्कुराओ तो कुछ बात बने !
छोड़ देना यूंँ मझधार में क्या मुश्किल है,
मुक़ाम तक पहुँचाओ तो कुछ बात बने !
ख़ुशगवार राहों का सफ़र आसान होगा...
पत्थरों पर चल पाओ तो कुछ बात बने !
दुनिया को परखने से है क्या हासिल...
ख़ुद को भी आज़माओ तो कुछ बात बने !
रंजिशें निभाने में तो रखा क्या है, दोस्त
अगर रिश्ते निभााओ तो कुछ बात बने !
ज़िन्दगी छोटी सही... नायाब तोहफ़ा है
सलीक़े से जी जाओ तो कुछ बात बने !!