मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)
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वक़्त के साथ चलते हुए,
हर मोड़ पर छूटा है कोई,
कोई हम-सफ़र बन कर
हर क़दम साथ चला है ,
तो मेरा ग़म, मेरी तन्हाई !
ख़ुशियों और इंसानों की
फ़ितरत कुछ एक सी है;
वफ़ा कोई निभाता है अगर
तो वो है बस रंज और ग़म
चलो कोई तो मेरे साथ है !
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