तन मन धन से सेवा
तन मन धन से सेवा
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श्रद्धा का दीपफ श्रद्धेय जनों पर आप लगाया कीजिए,
पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कीजिए ।
अतृप्त आत्माएं विचरण करतीं है सावन जब आता है,
संतुष्ट कर पितरो को दे धूप ध्यान संकट दूर कीजिए ।
शुक्ल पक्ष की किरणों में उनकी मुक्ति के लिए तर्पण कर,
तन मन धन से हो परिपूर्ण दान पुण्य तिथि पर कीजिए ।
हो पितृदोष से तुम ग्रसित अपना सर्वस्व न्योछावर कर
पितृदोष निवारण हेतु वंशजों के लिए तर्पण कीजिए ।
माता पिता की जीते जी तुम तन मन धन सेवा कर,
उनके जीवन को बना सुखद बना जीवन को सुखमय कीजिए ।
