तकलीफ के ब्यान
तकलीफ के ब्यान
मैं तकलीफ में जी रहा था
तकलीफ मुझे अच्छी लगी
तकलीफ में तकलीफ बोली
ना तेरा कोई अपना है ना तेरा होगा।
दुःख में दुःख की बात यहां है
जो अपने थे वे कब कहाँ है
मां के सिवा कोई तेरा अपना नहीं
होगा
दुख में जो खड़े होते थे
जाने वे लोग अब कहाँ है।
तकलीफ को भी तकलीफ हुई
जब भरा परिवार एक तरफ खड़ा रहा
तू अकेला एक तरफ पड़ा रहा।
मैं तो अपना फर्ज निभाती रही
तुझे धीरे धीरे खाती रही
तू नादान रहा अपनो पर कुर्बान रहा
तुझे जरूरत थी थोड़े पानी की
तू पड़ा बेजान रहा।
देख बन्दे कर्म कर्म का खेल है
कभी तू बेजुबान को मार कर खाता था
आज मैं तुझे खा रही हूं
तेरा मुझ से कुछ लेना नहीं है
बस दो पल का तेरे से मेरा मेल है।
इस मेल में तुझे कितना ज्ञान मिला होगा
बीमारी के कारण सब तुझ से अलग होगा।
