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Surendra kumar singh

Children Stories

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Surendra kumar singh

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तितली के भाग जगे

तितली के भाग जगे

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आंखों से आंख मिली

हाथों से हाथ मिले

नाचती दिशाओं में

फाल्गुनी उमंग लिये


चाहत के सागर में

खुशियों की नाव चली

तितली के भाग जगे

कलियां थीं फूल बने


लगता है कोई चितेरा है

आंखों में सपनो का डेरा है

मन विश्वास जगा

आशा को पंख लगा


लगता है रात ही सवेरा है

आंखों में सपनो का डेरा है।


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