थोड़ी नादनी में...
थोड़ी नादनी में...
थोड़ी नादानी में हमारे घर की खुशियाँ छीन लिया
एक छीनी थी तो दूजी क्यूं उसमें शामिल कर लिया
तुम्हें ना होना था हमारा तो हमीं से कह देते
हजार और भी गम सहे है एक और खुशी से सह लेते
हमें तो अनुभव था किससे कब क्या कहना था
महीनों सांस ना लेते फिर सारे इल्जाम खुद पर रखते
थोड़ा थोड़ा खुद को बर्बाद करते और तुमको आज़ाद करते
तुम्हारे घर की ऊँची दीवारें सौ बार मुबारक तुमको
ऊँची चौखटों पर रखते कदम कम से कम ओछी सोच तो ना होती
हम तो बेवजह त्योहार माना लेते खुशियाँ हजार बना लेते
अगर हमारे घर की छोटी दीवारों थोड़ी किलकारियां तो होती।