तेरी यादों का खिलौना।
तेरी यादों का खिलौना।
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तेरे लबों का, इन लबों पे, एहसान बहुत है,
दिल बच्चा मेरा हुस्न से, नादान बहुत है।
रुख्सत कर अपनी यादों के जंजाल से मुझे,
दिल तन्हाइयों से तेरी, परेशान बहुत है।
ले जा निकाल दरीचे से, जो हो तुझे पसंद,
शराफत के करोबार से दिल, अंजान बहुत है।
झूट को सच बनाकर बोलना कारीगरी है,
सच को बयाँ कर जाना, आसान बहुत है।
कर लो हिसाब इश्क़ का, जो बाकी है हमपर,
मेरा ईमान दिल के वास्ते, बेईमान बहुत है।
लगाकर उंगलियाँ अक्सर जगा देता है रातों में, तेरी यादों का खिलौना, शैतान बहुत है।
