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Sunita B Pandya

Others

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Sunita B Pandya

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स्वर्ण अक्षर

स्वर्ण अक्षर

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न थी सोने की कलम, न था चाँदी का कागज़

स्वर्ण अक्षरों से बनी थी मेरी आज की कविता


कलम को तो हुआ अचरज, कागज़ भी शर्मा के बोला, 

कौन है वो फरिश्ता जिनके स्पर्श से ,

पारसमणी हो गए सारे अक्षर ? 


दोनों की अचरज को मेरी रूह ने

मुस्कुरा के दिया जवाब,

रब ने की इबादत कबूल और

मेरी मुस्कुराहट बनके सामने में खड़े है वो,

करने मेरी गुल से मुलाकात,

कलियों से भी लड़ गए है वो ।


अगर कविता हूं मैं, तो कविता के शब्द है वो।

अगर सम्मान हो सबसे बड़ा रत्न, 

तो उनका सबसे बड़ा रत्न है वो।


ज़िद भी हर रोज यहीं ले के चलती हूं मैं,

सर नहीं झुकने दूंगी उनका मैं।


प्यार का ऐसा ग्राफ है वो, 

जो कभी गिरता नहीं।


रब से करती हूं बंदगी ,

लिखा है मेरी जिंदगी के लिए

मेरी जिंदगी हमेशा अमर रहे।


मम्मी पापा, मोम डेड, पेरेंट्स

अनेक नाम से जाने जाते है वो,

प्यार देते सागर से भी अधिक,

वो ही उनकी पहचान है।


कलम और कागज़ हुए

मेरी बात से सहमत,


Pray किया दोनों ने रब से और बोले, 

तेरी Priority हमेशा वो रहे।



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