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Sajida Akram

Children Stories

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Sajida Akram

Children Stories

"सवाल? "नन्हीं का"

"सवाल? "नन्हीं का"

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क्या है ? मजबूरी जो ,

होते, घर के दो टुकड़े,

क्यों ? न हो सकती,

मैं माँ-बाबा की दुलारी,

क्या है? मजबूरी जो, 

होते, घर के टुकड़े ,

क्या ? नहीं है मुझ को,

जीवन में ख़ुशियों को,

पाने का हक़,


आम बच्चों सा मिले मुझे भी,

माँ-बाबा का दुलार।

क्योंं ? होता घर का,चाबी का,

बँटवारा, क्या है? मजबूरी।

क्यों करते हो? अपने ही,

अंश का बँटवारा ,

क्या? मैं माँ-बाबा का अंश नहीं,

क्या? माँ -बाबा का अंश नहीं..।



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