सूर्यास्त की आभा
सूर्यास्त की आभा
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शिमला का सफ़र बहुत ही रोमांच भरा था
कदम पहुँच गए काली टिब्बा मंदिर तक
जहाँ शाम की दहलीज पर मंद मंद पवन
बह रही है
देखने रोमांच संध्या का लोगों का हुजूम
लगा था
आज यहाँ मन हो आया बैठ जाने का
वो अद्भुत रमणीय पल दूर न हो जाए
सोचा थाम लूँ अपनी हथेलियों में इस
आभा को
सूर्यास्त की आभा लग रही थी जैसे
सेज पर दुल्हन शर्मा रही हो
मानो आँचल में अपना चेहरा छुपा रही हो
और ये आभा धीमी धीमी गति से विलीन
हो रही थी
मेरी हथेलियों से निकलकर पर्वतों की
गोद में समां रही थी
कहीं ओझल ना हो जाए मेरी नज़रों से
यह आभा