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शशांक मिश्र भारती

Others

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शशांक मिश्र भारती

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सूर्य की सार्थकता

सूर्य की सार्थकता

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सूर्य

जगत का आरम्भ

और

अंत है,

हनुमान के गुरू

साम्ब के

कष्ट निवारक यही हैं,

इनका उदय

भाग्योदय

अस्ताचल की ओर

चले जाना

दुर्दिन की ओर

मुडना है,

कदाचित

सृष्टि का यह

मुख्य नेत्र

सृष्टि को

सब कुछ समझाने में

सफल हो पाता,

समय का अनुशासन

कार्य की नियमितता

कर्म प्रधानता

जीवन में

उतर आती,

सूर्य

सूर्य षष्ठी

उसकी अवधारणा

महत्व जीवन के लिए

सार्थकता की ओर

बढता,

सहस्रधीपति न ही

उनका अनुकरण

श्री गणेश तो कराता,

हां कराता।

तब आने वाला जन

उसका जीवन

सुबह से दोपहर के

सूर्य सी

प्रखरता लाता,

सीढी दर सीढी चढता जाता।


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