सुरक्षा घेरा
सुरक्षा घेरा
एक लकीर काजल की,
देहरी की लक्ष्मण रेखा सी !
आशा से भरपूर कुछ सपने,
चमक उठते, आँखों में तेरी !
बहक जाने का मन तुम्हारा भी कर जाता,
दिल का दर्द, बन पानी आँखों में भर जाता !
क्षण भर में काजल की लकीर खींच,
बनाती एक लक्ष्मण रेखा eye लाइनर से !
लुप्त हो जाते सपने सारे एक पल में,
मेरी तरफ देखती तुम मुस्कराती हुई !
कुछ दर्द छुपाती हुई !
करते हुए बातें मन की,
पल में अजनबी बन जाती !
रोज खुद को सताते हुए,
जतन से लक्ष्मण रेखा बनाती !
उन्नत भाल, सुंदर मुखड़ा,
झांकती भीतर तक, तुम्हारी प्यारी आंखें !
दिल का मेरे हर हाल भाँप जाती !
धड़कने पर तुम्हारी भी बढ़ जाती !
फिर वही सजग प्रहरी लक्ष्मण रेखा
हर पल तुम्हें बचाती !!