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सुप्रभात
सुप्रभात
सुप्रभात
सुप्रभात
फिर लालिमा अरुण ने,
अम्बर पर बिखेरी है,
शुभकामना से जगमग,
आंगन और मुंडेरी है,
परमात्मा का तेरे सर पर
है हाथ हर क्षण,
हुंकार भर खड़ा हो,
क्या 'राज' में देरी है।
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