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सुनहरे पल

सुनहरे पल

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यादों के

झरोखों से

वो चाहे की

मैं झांका करूं

कैसे कहूँ की


यादों के

झरोखों से नहीं

मुझे तो

जीना है

आज के 

सुनहरे पलों में


ताकि 

लिख सकूँ

कल के

और 

सुनहरे पल



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