Paramjeet Singh
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हे वासुदेव
तुम कितने दयालु
कितने कर्मठ
कितना सुन्दर कुटुम्ब तुम्हारा,
जहां गूंजे बंसी की
मधुर हवा,
जहां राधा गाती
गीत नए ,
गइयां चरती खेतों में
रहते सारे मिल जुल कर,
कोई बैर न कोई विरोध
सचमुच स्वर्ग यही है,
सचमुच स्वर्ग यही है।।
हंसी की बात
ऐसा ही हूं मै...
अभी तो मैंने ...
ये जीवन कहां ...
अजीब होते हैं...
बेनाम रिश्ता
अंधी आस्था
कोई और ही माल...
अपनी कहां हूं...
आखिर कब तक