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Paramjeet Singh

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Paramjeet Singh

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सुन्दर कुटुम्ब

सुन्दर कुटुम्ब

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हे वासुदेव

तुम कितने दयालु

कितने कर्मठ

कितना सुन्दर कुटुम्ब तुम्हारा,

जहां गूंजे बंसी की

मधुर हवा,

जहां राधा गाती

गीत नए ,

गइयां चरती खेतों में 

रहते सारे मिल जुल कर,

कोई बैर न कोई विरोध

सचमुच स्वर्ग यही है,

सचमुच स्वर्ग यही है।।

    


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