सुन्दर कुटुम्ब
सुन्दर कुटुम्ब
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हे वासुदेव
तुम कितने दयालु
कितने कर्मठ
कितना सुन्दर कुटुम्ब तुम्हारा,
जहां गूंजे बंसी की
मधुर हवा,
जहां राधा गाती
गीत नए ,
गइयां चरती खेतों में
रहते सारे मिल जुल कर,
कोई बैर न कोई विरोध
सचमुच स्वर्ग यही है,
सचमुच स्वर्ग यही है।।