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chandraprabha kumar

Others

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chandraprabha kumar

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सुगन्ध महुआ की

सुगन्ध महुआ की

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क्या तुमने देखी है

वह बहती हवा

वह लंबी पगडण्डी 

जहॉं खड़े हैं महुआ के पेड़।

जहॉं जीवन सूरज के साथ 

जगता है,

हवा के साथ बहता है 

और फूलों के साथ महकता है।


 वे फूल जो अनायास ही झर जाते हैं

औदार्य से।

और शिशु, स्त्री बालक

उन्हें उठाने दौड़. पड़ते हैं ।

यह प्रकृति जो 

एक साथ 

सुषमित भी है

और जीवनदायी भी।


क्या तुमने उन फूलों को देखा है ?

उनकी सुगन्ध महसूस की है?

हॉं, मैंने की है,

मैंने देखा है कि ये

छोटी ख़ुशियाँ कैसे

जीवन को समृद्ध बना जाती हैं,

होंठों से उदासी की

छाया पोंछ डालती हैं

और जीने का नया 

संदेश दे जाती हैं।



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