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Lamhe zindagi ke by Pooja bharadawaj

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4.0  

Lamhe zindagi ke by Pooja bharadawaj

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सुबह का स्वागत

सुबह का स्वागत

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सुबह का डंका बजा है

किरणों ने बिगुल बजाया है

फसलें लहलहाकर नाच रही

कोयल ने कूक लगाई है

खग ने शोर मचाया है

मुर्गा बांग दे कर संदेशा

किरण का लाया है

रथ यात्रा की हो चुकी तैयारी

सूर्य देव सज रहे है


प्रकाश अपना फैलाने को

अंधकार ने रास्ता छोड़ा है

रोशनी उनकी फैलाने को

भानु रथ पर सवार होकर आए

धरती पर अपना परचम लहराने को

मंदिर और शिवालय में पहुंचे

पुजारी शंख बजाने को

संदेशा सब को ये देने को 

की उठो सुबह हो गई है

आलस्य बिस्तर छोड़ भागा है 


अधरों ने चाय का प्याला मांगा है

सुस्ती अपनी भागने को

दोनों हाथ फैला कर लंबी सांस ले

मन को एकाग्र कर प्रसन्न हो जाने दो

है मानव उठो और कुछ इस तरह 

स्वागत में जुट जाओ

आने वाली है रवि रथ की सवारी

धरती पर खुशियां लाने को।



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