सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम्
सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम्
शिव शुभ है शिव ही तो सत्य है,
सुंदर शिव करते सबको निर्भय।
असीम शून्य का रूप प्रभु शिव,
जिसमें ऊर्जा है अनंत और अक्षय।
'सत्यम्-शिवम्-सुंदरम्' शुभ सदैव ही,
नियमित है 'सृजन-सुपालन संग प्रलय।
भाव-आचरण की सुंदर शुभता से
हर पल ही हमको मिलती है जय।
आद्यान्त रहित महादेव सदाशिव,
सबके सदा ही मंगलकारी हैं ।
पार्वती रूप गिरिसुता संग मिलन,
उत्सव महाशिवरात्रि हमारी है।
शुभता संग शक्ति का संलयन ही
लक्ष्य प्राप्ति का पथ करता तय।
भाव आचरण की सुंदर शुभता से
हर पल ही हमको मिलती है जय।
आर्यावर्त पंचांग के फाल्गुन मास में
शिव-शक्ति विवाहोत्सव सभी मनाते हैं।
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से करके शुरू व्रत
रात्रि के चारों पहर शिव-शक्ति पूजे जाते हैं।
चतुर्दशी तिथि की प्रत्यूष वेला में पूर्णता संग
निश्चित मिलती है हमको शुभ शक्ति अक्षय।
भाव आचरण की सुंदर शुभता से
हर पल ही हमको मिलती है जय।
पूर्वजन्म में सती रूप में सीता रूप बनाया था,
दक्ष के यज्ञ में तन तज गौरी रूप को पाया था।
शिव की प्राप्ति हेतु कठिन तप व्रत को अपनाया,
इसी रात्रि था पाणिग्रहण यह शास्त्रों ने बतलाया।
आकाशगंगाओं के प्रकाश-पुंजों का विशाल शून्य में,
अनवरत उद्भव-पोषण और अन्ततः उसमें होता लय।
भाव आचरण की सुंदर शुभता से
हर पल ही हमको मिलती है जय।
सनातन आर्य परम्पराएं हमको आनंदित रहना सिखाती हैं,
बॅंटा के गम और बांट के खुशियां जग एक कुटुंब बनाती हैं।
इसकी संस्कृति 'सर्वे भवन्तु सुखिन:'वाली यही भाव दर्शाती ,
शक्ति अर्जन-निर्बल पोषण आर्यावर्त की अति शुभ थाती है।
सच-सुंदरता-शुभता विविध विधियों को समादरित करती है
अखिल विश्व में 'सर्वे सन्तु निरामया' निश्चित रूप करती तय।
भाव आचरण की सुंदर शुभता से
हर पल ही हमको मिलती है जय।
