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RASHI SRIVASTAVA

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RASHI SRIVASTAVA

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सतरंगी पतंग

सतरंगी पतंग

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बादलों में उड़े पतंग

कभी उठे कभी गिरे पतंग


लहराए कभी कटे पतंग

छोटी है कभी बड़ी पतंग


बसंत आया मन भाई पतंग

सतरंगी होती हैं पतंग


आसमान को छूती है

हम सब से यह कहती है


ऊंची उड़ानें भरा करो

पर धरती पर पांव रखो


बड़े-बड़े सपने देखो

अपनी धुन में लगे रहो


किसी की ना परवाह करो

अपनी राह बस चले चलो


द्वेष करोगे किसी से तो

तुम कट के गिर जाओगे


प्रेम भाव से रहोगे तो

तुम सब कुछ पा जाओगे II



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