सतरंगी पतंग
सतरंगी पतंग
1 min
229
बादलों में उड़े पतंग
कभी उठे कभी गिरे पतंग
लहराए कभी कटे पतंग
छोटी है कभी बड़ी पतंग
बसंत आया मन भाई पतंग
सतरंगी होती हैं पतंग
आसमान को छूती है
हम सब से यह कहती है
ऊंची उड़ानें भरा करो
पर धरती पर पांव रखो
बड़े-बड़े सपने देखो
अपनी धुन में लगे रहो
किसी की ना परवाह करो
अपनी राह बस चले चलो
द्वेष करोगे किसी से तो
तुम कट के गिर जाओगे
प्रेम भाव से रहोगे तो
तुम सब कुछ पा जाओगे II