स्त्री के इन्द्रधनुषी रंग
स्त्री के इन्द्रधनुषी रंग
इंद्रधनुष की तरह ही खिल जाते हैं
हमारे व्यक्तित्व के रंग।
जब छंट जाते हैं बादल डर,आशंका,
शंका की जिंदगी से।
फिर दिखते हैं खुले आकाश में
हमारे हर पहलू के रंग।।
किसी बादल में अटकी हुई किसी बूंद पर
पड़ती सूरज की जब कोई किरण।
यानि कि जिसमें हो सूरज जैसी दृष्टि
वही ढूंढ पाता है हमारे इंद्रधनुषी रंग।।
वरना तो जिंदगी के चक्रव्यूह में फंसे
हम नारियों के व्यक्तित्व और अस्तित्व
के पहलू नजर ही नहीं आते।
छुप जाते हैं व्यस्त दिनचर्या में
उत्तरदायित्व,कर्तव्य के बादलों में।।
या अक्सर छुपे रहते हैं
कछुए के जैसे
जब तक नहीं निकालता
सिर खोल से बाहर
दुनिया को नहीं दिखाता आकृति
समझते सब पत्थर।।
उसी प्रकार जब तक हम
स्वयं एहसास नहीं करते
या एहसास नहीं कराया जाता
तब तक हम भी बंद रहते हैं अपने खोल में।
अपने विभिन्न रंगों को छुपाए।।
धरती के जैसे जिसने छुपा लिए
गर्भ में अपने धैर्य के साथ
सभी के पाप पुण्य हर दिन।
या फिर सागर की भांति जो
धारण करता है रत्न अनगिनत अंतर में
और सभी के पापों को समा कर
अपने में बन जाता है खारा प्रदूषित।।
जब भी छंट जाते हैं बादल
परंपराओं के, रूढ़ियों के
हो जाता है आकाश साफ।
तभी दिखते हैं
"स्त्री के सप्तरंगी इंद्रधनुष"
आते हैं सभी को,लुभाते हैं सभी को
पर ऐसा होता है
कभी-कभी, कभी-कभी।।