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Kiran Bala

Others

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Kiran Bala

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सरहद

सरहद

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"नहीं मेरा कोई भी धर्म - ईमान

मैं हूँ बस बेबस ,मजबूर बेजान,

देखे हैं कितने ! लाशों के अंबार

अपनों का दर्द और चीख पुकार,

दिल में लिए, बस यही अरमान 

कोई तो सुनाए आकर के पैगाम, 

कि हो चला है अब युध्द- विराम

क्या,कोई है,जो समझेगा ये दर्द?

पूछ्ती है सबसे, आज ये सरहद।




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